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गंगा_नहाए

गंगा केवल तन धुले
मन की  किट्ट न धोए 
मन की किट्ट जब धुले 
जब राम सुध मन होय

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निशा_ए_मोहब्बत

निशान किसी का और लिए फिरते है  निशान किसी का और लिए फिरते है जनाब मोहब्बत में मेरे सनम  मोहब्बत में मेरे सनम मेरे मरने का इंतजाम किए फिरते है

हर हाल मुक्लम उनसे

हर हाल मुक्लम उनसे  हर ख्वाब मुक्लम उनसे  हर फतेह मुक्लम उनसे  हर शिकस्त मुकम्मल उनसे  वो पनाह दे या न दे  हर चौखट मुक्लम उनसे